एक बार फिर से शुरू हुआ RBI का मंथन, क्या इस बार सस्ता होगा लोन ?
RBI MPC meeting
RBI MPC meeting: लोकसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं. किसी एक पार्टी को तो नहीं बल्कि एनडीए को बहुमत मिल चुका है. सरकार किस गठबंधन की बनेगी, उस पर गहन मंथन दोनों ओर से चल रहा है. वहीं दूसरी ओर आम लोगों के बीच दूसरा सवाल भी रेंगने लगा है. ये सवाल ये है लोन ईएमआई कम होने का. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग बुधवार से शुरू हो चुकी है. मीटिंग में रेपो रेट यानी लोन ईएमआई कम करनी है या नहीं, या फिर ब्याज दरों को वैसा ही रखना है, जिस तरह से करीब डेढ़ से रखा जा रहा है पर फैसला होना है.
आम लोगों को उम्मीद है कि इस बार आरबीआई रेपो रेट को कम करेगी. ताकि बढ़ी हुई लोन ईएमआई से उन्हें राहत मिल सके. वास्तव में मई के महीने में महंगाई के आंकड़ें कम देखने को मिले थे. वहीं दूसरी ओर यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में कटौती करने का ऐलान कर दिया है. वहीं उम्मीद ये भी की जा रही है कि फेड मीटिंग में भी ब्याज दरों में कटौती का ऐलान हो सकता है. ऐसे में इस बार आरबीआई भी ब्याज दरों में कटौती कर सकती है.
इससे पहले आरबीआई ने रेपो रेट में आखिरी फरवरी 2023 में बदलाव किया था. उस महीने में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. जिसके बाद रेपो रेट 6.50 फीसदी हो गया था. उससे पहले लगातार आरबीआई ने मई 2022 से लगातार रेपो रेट में 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. फरवरी के बाद से आरबीआई ने कोई बदलाव नहीं किया. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्या आरबीआई 7 जून को ब्याज दरों में कटौती करेगी या नहीं?
यूरोप करेगा ब्याज दरों में कटौती
जानकारी के अनुसार इस हफ्ते गुरुवार को यूरोनियन सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती करने जा रहा है. खास बात तो ये है कि ईसीबी की ओर से ये कटौती करीब 8 साल के बाद होने जा रही है. जिसके बाद ईसीबी पॉलिसी रेट 4.25 फीसदी पर आ जाएंगी. विदेशी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा साल में ईसीबी ब्याज दरों में 0.60 फीसदी की कटौती कर सकती है. जिसका असर दुनिया के बाकी देशों पर भी देखने को मिल सकता है. कुछ महीने के बाद इंग्लैंड का सेंट्रल बैंक भी ब्याज दरों में करने का विचार कर सकता है.
फेड भी ले सकता है बड़ा फैसला
वहीं दूसरी ओर अमेरिकी फेड रिजर्व भी ब्याज दरों में कटौती करने का मन बना रही है. पिछले कुछ महीनों से साफ संकेत मिल रहे हैं कि जुलाई में होने वाली मीटिंग में फेड ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. ये कटौती 0.25 फीसदी की देखने को मिल सकती है. इस साल फेड दो कटौती करनी है. पहली जुलाई में देखने को मिल सकती है. वहीं दूसरी कटौती अक्टूबर या नवंबर के महीने में देखी जा सकती है. जानकारोंं की मानें तो महंगाई के आंकड़ें काफी दुरुस्त देखने को मिल रहे हैं, लेकिन उन आंकड़ों पर नहीं पहुंच सके हैं, जिन पर फेड लाना चाहता है. ऐसे में फेड जुलाई तक का वेट करना चाहता है.
भारत में महंगाई के आंकड़ें
अगर बात भारत में महंगाई के आंकड़ों की करें तो लगातार दो महीने से रिटेल महंगाई 5 फीसदी से नीचे देखने को मिली है. मार्च के महीने में रिटेल महंगाई 4.85 फीसदी पर थी. उसके बाद अप्रैल में खुदरा महंगाई के आंकड़ें 4.83 फीसदी पर दिखाई दिए थे. देश में अप्रैल के महीने में खुदरा महंगाई 11 महीने में सबसे कम देखने को मिली थी. वहीं देश में बीते 8 महीने से खुदरा महंगाई के आंकड़ें 6 फीसदी से कम देखने को मिल रहे हैं. जून के महीने में महंगाई के आंकड़ें थोड़ें और कम देखने को मिल सकते हैं. आंकड़ा 4.50 फीसदी पर आ सकता है. आरबीआई के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई के आंकड़ें 4.5 फीसदी पर रह सकते हैं. जोकि वित्त वर्ष 2023-24 में 5.4 फीसदी और 2022-23 में 6.7 फीसदी देखने को मिले थे.
क्या कम होगी लोन ईएमआई?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इस हफ्ते आरबीआई पॉलिसी रेट में कटौती का ऐलान कर सकती है. इस पर जानकारों को थोड़ा शक है. जानकारों की मानें तो आरबीआई का एमपीसी पैनल लगातार 8वीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा. आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा आरबीआई जून की पॉलिसी मीटिंग में ब्याज दरों को होल्ड रखने का फैसला ले सकता है. उन्होंने कहा कि महंगाई अभी 4 फीसदी से ज्यादा है. जबकि महंगाई का लेवल 4 फीसदी का उससे कम नहीं हो जाता तब तक ब्याज दरों में किसी तरह के छेड़छाड़ की उम्मीद नहीं है. वर्तमान गर्मी की लहर की स्थिति से खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने के जोखिम के साथ नीति का समग्र स्वरूप सतर्क रहेगा। उन्होंने कहा, डेली रिटेल फूड प्राइस के दाम मई के महीने में फूड इंफ्लेशन में इजाफे का संकेत दे रही हैं.